अमरोहा: शायर मुनव्वर राणा, जिन्होंने मां की महिमा को अपनी शायरी में पिरोने का कार्य किया, ने दुनिया को अलविदा कह दिया। अमरोहा में उन्हें बड़े शौक से सुना जाता था, और उन्होंने यहां 2015 में अपनी आखिरी शायरी का प्रदर्शन किया था। उस समय लोगों ने सर्द रात में भी उनकी शायरी का इंतजार किया था।

मशहूर शायर मुनव्वर राणा के प्रेमी हर जगह मौजूद हैं। अमरोहा भी उन सब में एक है। उनके आगमन पर यहां कुछ अलग ही माहौल बना। अमरोहावासी भी उनकी शायरी को बहुत उत्सुकता से सुनते आ रहे हैं। 2015 में मुनव्वर राणा ने अपने कलाम से भरी एक शाम को आखिरी बार अमरोहा में गुजारा था। इस खास मुशायरे में नगर पालिका के टाउन हॉल में, जिंदा-ए-दिलाने संस्था के आयोजन में उन्होंने शिरकत की थी। शहर के शायर शीबान कादरी ने बताया कि उन्हें अमरोहा के शायरों से काफी लगाव था और उनका इंतजार लोगों ने सर्द रात में भी किया था।

शायरी के दौरान उनके शेरों ने लोगों को पूरी रात रुकने को मजबूर कर दिया था। इस कार्यक्रम में लखनऊ के मशहूर शायर सैफ बाबर, डॉ. तारिक कमर, दिल्ली के सबा अजीज, शम्स रम्जी, शबनम सिद्दीकी भी अपने कलाम से शिरकत करने के लिए पहुंचे थे। डॉ. सिराजुद्दीन हाशमी द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम में यह सार्थक और भावनात्मक क्षणों का आयोजन किया गया था।

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